किसी भी सभ्य और उन्नत समाज से जुड़ी सबसे मूलभूत भावना है प्रेम और सबसे जरूरी आवश्यकता है सबके कल्याण में अपना कल्याण देख पाने की समझ ,जो प्रेम से ही आती है । इतिहास गवाह है घोड़ा गाड़ी से जहां हमारे राजाओं ने रथ बनवाये, वहीँ वो समाज जिनकी प्रस्तावना में मानवीय कल्याण था उन्होंने उस पे ड्रम या स्ट्रेचर रखकर पहली फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस बनाने की सोची ।
जहांगीर की बेटी बहार बानो बहुत बीमार थी सारे वैध -हकीम हार चुके थे । डॉक्टर थॉमस रो ने captain हॉकिन्स के अनुरोध पर उसका इलाज किया और वो ठीक हुई ,बदले में जहांगीर ने थॉमस रो को उसके वजन के बराबर सोना देने की पेशकश की मगर डॉक्टर रो ने कहा "जहाँपनाह ,मुझे सोना मत दीजीये मेरे देश को यहां व्यापार करने की अनुमति दे दीजिये ।फिर जो हुआ वो बताने की जरूरत नहीं, बात ये है राष्ट्र की भलाई में व्यक्ति की भलाई की जो भावना थॉमस रो में सोलहवीं सदी में थी उसका लेश मात्र आज भी हम में नहीं ।हममें से ज्यादातर धर्मों ,जातियों और वर्णों में बटें कबीलानुमा लोग हैं । फूट डालो राज करो की नीति आज भी जारी है और भक्ति का ये आलम है सब देखते बुझेते हुए भी हमने विकास और कल्याण की आशा, आस्था की डोरी से इन दोयम दर्जे के नेताओं से बाँधी है जिनका काम है बांटना और राज करना ।
जिस समाज में व्यक्ति के हितों का राष्ट्र हित से सामन्जस्य नहीं और जहां प्रेम भाव की जगह नफरतों के बीज बोए जाते हो ऐसे समाज को अभी बहुत कुछ और झेलना होगा ये जानने से पहले की नफरतों के ज्वालामुखी पे कल्याण और विकास के फूल नहीं खिलते।
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