Wednesday, August 14, 2013

१५ अगस्त २०१३

गलियों के सब नाम मिटा दें  
शहरों की पहचान  मिटा दें  
सड़क, दिशा के नाम छोड़  दें 
बांटे ऐसी हर   दीवार तोड़  दें 
आओ, फिर ढूंढे  मिल कर के 
मुल्क ,शहर ,का कोना  कोना 
जहाँ भी एक स्वंतंत्र मन मिले 
जहाँ भी एक अतृप्त मन मिले 
चलने को संकल्पित तन मिले  
बस इसी पते पे मेरा  घर हो।

१५ अगस्त २०१३

 

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